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मै हूं चंचल नदी सी, कभी शांत तो कभी हजारों तूफ़ान

मै हूं चंचल नदी सी,
कभी शांत तो कभी हजारों तूफ़ान खुद में समेटे हुए।

मै हूं कभी चांदनी शी शीतल,
और कभी रहती तेज़ अग्नि का श्रृंगार किए हुए।

हा मै हूं नारी कभी ममतामयी
तो हूं कभी हालातो से लड़ती दुर्गा अवतार लिए हुए।

Meera ♥️ मै हूं चंचल नदी सी,
कभी शांत तो कभी हजारों तूफ़ान खुद में समेटे हुए।

मै हूं कभी चांदनी शी शीतल,
और कभी रहती तेज़ अग्नि का श्रृंगार किए हुए।

हा मै हूं नारी कभी ममतामयी
तो हूं कभी हालातो से लड़ती दुर्गा अवतार लिए हुए।
मै हूं चंचल नदी सी,
कभी शांत तो कभी हजारों तूफ़ान खुद में समेटे हुए।

मै हूं कभी चांदनी शी शीतल,
और कभी रहती तेज़ अग्नि का श्रृंगार किए हुए।

हा मै हूं नारी कभी ममतामयी
तो हूं कभी हालातो से लड़ती दुर्गा अवतार लिए हुए।

Meera ♥️ मै हूं चंचल नदी सी,
कभी शांत तो कभी हजारों तूफ़ान खुद में समेटे हुए।

मै हूं कभी चांदनी शी शीतल,
और कभी रहती तेज़ अग्नि का श्रृंगार किए हुए।

हा मै हूं नारी कभी ममतामयी
तो हूं कभी हालातो से लड़ती दुर्गा अवतार लिए हुए।