अर्ज़ करूं तो एक संदर्भ उभर आता है । फ़र्ज़ से चूके तो खुदगर्ज कहा जाता है। ऐ जिंदगी!तेरे कर्ज की अदायगी अभी बाकी है, ये दर्द मै सहूं तो मुझे बेदर्द कहा जाता है। @ राजेश कुमार..... बिखरे मोती.....