Tunnel पाठशाला तो इक बहाना था .... (2) मेरी किस्मत का डूबा सूरज भी, दोपहर की तरह चमकता था । क्या कहें ये भी तो मुकद्दर था , कुछ चमकना था डूब जाना था । खत वो सखियों से पूछ लिखती थी, मैं भी यारों से पूछ लिखता था । शे'र लिक्खा किये थे "गालिब" के इसलिये लहजा शायराना था । @धर्मेन्द्र'आज़ाद' क्रमशः #येतोहोनीथीजिसकोहोनाथा