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मैने कब चाहा मेरी झोलियां खुशी से भर दे ; मगर कि

मैने कब चाहा 
मेरी झोलियां खुशी से भर दे ;

मगर किसी के अंगे हांथ 
ना फैलाना पड़े मेरे तब, 
मेरी औकात बस उतनी कर दे ! खुदा मेरे
मैने कब चाहा 
मेरी झोलियां खुशी से भर दे ;

मगर किसी के अंगे हांथ 
ना फैलाना पड़े मेरे तब, 
मेरी औकात बस उतनी कर दे ! खुदा मेरे