मार्गदर्शक हो सत्य और अहिंसा तो रास्ता ना भटकेगा, सशस्त्र धारण करो सादगी का प्रकृति का रुप खिलेगा, नफ़रत की लपटें दहकते अंगारों सी इसकी तपिश, शांत जीवन में मयस्सर हुईं खुशियों को ग्रहण करेगा, भांति-भांति के फूल खिला प्रकृति ने रचाया है प्रेम प्रसंग, सत्य और अहिंसा से संवारे मातृभूमि का हर अंग -अंग। Collab challenge :– 02 ➡️ पंक्तिया - 2 - 6 ➡️ समय सीमा - 12pm (18July) 👉 इस पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूले 👉 इस पोस्ट को लाइक करे 👉 समय सीमा के अंदर रचना प्रस्तुत करें 👉 रचना को पूरा करने के बाद कमेंट बॉक्स में Done कम्मेंट