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शहर में ढूंढ रहा हूँ कि सहारा दे दे| कोई हातिम जो

शहर में ढूंढ रहा हूँ कि सहारा दे दे|
कोई हातिम जो मेरे हाथ में कासा दे दे|

पेड़ सब नगेँ फ़क़ीरों की तरह सहमे हैं,
किस से उम्मीद ये की जाये कि साया दे दे|

©Jashvant
  Chand Alfaz Raj Guru Sana Khan Imraan Aktar Jahan Lalit Saxena