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कितनी दूर निकल गये हम, रिश्तों को निभाते- निभाते।

कितनी दूर निकल गये हम, रिश्तों को निभाते- निभाते।
खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते -पाते।
लोग कहते हैं कि हम मुस्कुराते बहुत हैं,
और हम थक गए हैं, दर्द को छुपाते -छुपाते।।
खुश हूं और सबको खुश रखता हूं।
लापरवाह हूं फिर भी सबकी परवाह करता हूऊ।
मालूम है कुछ मोल नहीं है मेरा
कुछ अनमोल लोगों से रिश्ता रखता हूं।

©Nilam Agarwalla #प्रेमचन्दजयंती