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चांद पर है पैरहन या पैरहन तेरे नजर पर है, दिखता ह

चांद पर है पैरहन या पैरहन तेरे नजर पर है, 
दिखता ही नहीं तू आजकल जाने किस डगर पर है
मैं हूं, मगर तुझसे ही हूं,यह जानता है तू मगर
तू है इस एहसास का मुझे होता अब भ्रम क्यों है
चांद पर है पैरहन या पैरहन तेरी नजर पर है ।

इन हवाओं के शोखियों में है अजब सी ये कशमकश क्यों
बेचैनी बढ़ा रही है आज मेरी धड़कनें क्यों
बढ़ रही ये बेताबियां,जाने किस सफर पर है
दिखता ही नहीं तू आजकल,जाने किस डगर पर है
चांद पर है पैरहन या पैरहन तेरी नजर पर है । 

चकोर बनूं या चांदनी,किस रूप में तू संग रहेगा
मुझे ये बता दे मेरे सांवरे,क्या कभी तेरा दर्श मिलेगा
तू बेखबर बेशक रह मगर,ये दरमियान फासले क्यूं है
दिखता ही नहीं तू आजकल, जाने किस डगर पर है
चांद पर है पैरहन या पैरहन तेरी नजर पर है । 

चल बता तुझे ढूंढूं कहां, किस नगर तेरी खबर मिले
सबसे छुप रहा है या बस मेरी है नजर धुले
तेरे नजर का हर एक डगर, मेरे यार मुझसे बेपर्दा है
दिखता ही नहीं तू आजकल, जाने किस डगर पर हैं
चांद पर है पैरहन या पैरहन तेरी नजर पर है ।

बड़े वक्त की थी बात ये, चल बता दूं अबकी बार मैं
तुझे पाने की कभी तलब ना थी, तरसे नयन तेरे दीदार में
मीरा तो मैं बन गई, तू मगर साांवरे ना है
दिखता ही नहीं तू आजकल, जाने किस डगर पर है
चांद पर है पैरहन या पैरहन तेरी नजर पर है ।

©Kumari Samagi
  #Chand #chehra