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अब की तीज नहीं भरा बागों में मेला, नहीं बंधे सावन

अब की तीज नहीं भरा बागों में मेला, नहीं बंधे सावन के झूले, नहीं जुटी झूले की पींग से आम्बर छू कर सायब जी के पास पहुँचती गोरणियों की गोठ।
नहीं आई हरे चूड़े से कलाई पर सावन जगाती वाली मणियारी, नहीं बुलाई हथेली में मेहंदी की चौपड़ पूरने वाली खवासण जी।
अब के बरस नहीं ओढ़ा नया कसुमल लहरिया, जो तीजळ नार सायबा से मंगवाती थी-
"म्हारे लहरिए रा दो सौ रुपया रोकड़ा सा,
लाइ दो, लाइ दो नीं मनबसिया ढोला लहरियो सा...।"
सावन-मनभावन की हरियाली में बैठ कर व्रत खोलने की रीझ अबके मन में ही रह गई, और बड़ी चौपड़ के कंदोई से घेवर मंगा कर सिंजारा मनाने की आस भी पूरी नहीं हुई।
पर सावन-मनभावन की लहर और तीज के त्योहार का छोह-चाव किस के रोकने से रुका है।
मन की पींग फिर भी सायब से मिला देगी, नेह की रतनारी मेहंदी फिर भी हथेली में गमकेगी, प्रेम के गोटे से चमकता लहरिया ओढ़ गौरल फिर भी नाचेगी, हरे चूड़े की खनक परदेस बिराजे पीऊ जी तक भी जाएगी।
ये कठिन काळ निकल जाएगा और तीज की रीझ और सावन का उछाह फिर आएगा
तीज की, मन के हरियाले बीज की बधाई सबको।

#फिर_पड़ेंगे_झूले_फिर_भरेंगे_मेले।
प्रोफेसर राइटर लक्ष्मी शर्मा जी की क़लम से निकला लेख 
हरयाली तीज की बधाई #Riverbankblue
अब की तीज नहीं भरा बागों में मेला, नहीं बंधे सावन के झूले, नहीं जुटी झूले की पींग से आम्बर छू कर सायब जी के पास पहुँचती गोरणियों की गोठ।
नहीं आई हरे चूड़े से कलाई पर सावन जगाती वाली मणियारी, नहीं बुलाई हथेली में मेहंदी की चौपड़ पूरने वाली खवासण जी।
अब के बरस नहीं ओढ़ा नया कसुमल लहरिया, जो तीजळ नार सायबा से मंगवाती थी-
"म्हारे लहरिए रा दो सौ रुपया रोकड़ा सा,
लाइ दो, लाइ दो नीं मनबसिया ढोला लहरियो सा...।"
सावन-मनभावन की हरियाली में बैठ कर व्रत खोलने की रीझ अबके मन में ही रह गई, और बड़ी चौपड़ के कंदोई से घेवर मंगा कर सिंजारा मनाने की आस भी पूरी नहीं हुई।
पर सावन-मनभावन की लहर और तीज के त्योहार का छोह-चाव किस के रोकने से रुका है।
मन की पींग फिर भी सायब से मिला देगी, नेह की रतनारी मेहंदी फिर भी हथेली में गमकेगी, प्रेम के गोटे से चमकता लहरिया ओढ़ गौरल फिर भी नाचेगी, हरे चूड़े की खनक परदेस बिराजे पीऊ जी तक भी जाएगी।
ये कठिन काळ निकल जाएगा और तीज की रीझ और सावन का उछाह फिर आएगा
तीज की, मन के हरियाले बीज की बधाई सबको।

#फिर_पड़ेंगे_झूले_फिर_भरेंगे_मेले।
प्रोफेसर राइटर लक्ष्मी शर्मा जी की क़लम से निकला लेख 
हरयाली तीज की बधाई #Riverbankblue