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"आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरितासउ

"आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरितासउद्भिदः।
देवा नो यथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवे दिवे ..."॥

सब ओर से निर्विघ्नं, स्वयं अज्ञात, अन्य यज्ञों को प्रकट करने वाले कल्याणकारी यज्ञ हमें प्राप्त हो। सब प्रकार से आलस्य रहित होकर प्रतिदिन रक्षा करने वाले देवता सदैव हमारी वृद्धि के निमित्त प्रयत्नशील हों।
शुक्ल यजुर्वेद सभी का कल्याण हो।
-वेद
"आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरितासउद्भिदः।
देवा नो यथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवे दिवे ..."॥

सब ओर से निर्विघ्नं, स्वयं अज्ञात, अन्य यज्ञों को प्रकट करने वाले कल्याणकारी यज्ञ हमें प्राप्त हो। सब प्रकार से आलस्य रहित होकर प्रतिदिन रक्षा करने वाले देवता सदैव हमारी वृद्धि के निमित्त प्रयत्नशील हों।
शुक्ल यजुर्वेद सभी का कल्याण हो।
-वेद