ख़याल ख़याल पे ख़याल बांध रहे हैं। मन के सहारे उड़े जा रहे हैं। हवा की तरहां बहे जा रहे हैं। मन का रूप, तन का कोई रंग ले रहे हैं। जाना अंजाना चेहरा याद आ रहा है। बंद आंखों से ही देख रहे हैं । सांसों से छू रहे हैं। लेकर उसका नाम हर ख़याल को इस लम्हे में जिए जा रहे हैं। ख़याल पे ख़याल बांध रहे हैं। बस, उसको याद कर रहे हैं।