एक लड़की है थोडी पागल सी मुझे बेइन्तेहा प्यार करती है होठो से एक लफ़्ज़ गवारा नही आंखों से बाते किया करती है मेरे सारे दर्द दूर हो जाते हैं जब वो मुस्कुराया करती है कद मे थोडी सी छोटी है मुझसे ऐडी उठाकर गले लगा करती है लग जाती है इस तरह सीने से मेरी धड्कने गिना करती है माथा क्या चूम लिया मनाने को रोज़ नाराज़ हो जाया करती है हकीकत मे शर्माती है शायद ख्वाबो मे खूब जताया करती है अचानक आ जाउ कभी रुबरु झूटा मूटा घबराया करती है किस्से हमारी चाहत के सहेलियो को सुनाया करती है मेरी मुहब्बत का मिठा सा नगमा हर रोज़ गुनगुनाया करती है नगमा