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हम तो वरदान को ही श्राप समझ बैठे हैं। सामने पुण्य

हम तो वरदान को ही श्राप  समझ बैठे हैं। सामने पुण्य है और पाप समझ बैठे हैं। पहले मां बाप को दौलत ही समझते थे हम। आज दौलत को ही मां-बाप समझ बैठे हैं।

©milan bandewar हाय फ्रेंड आपका दोस्त milan bandewar मेरी शायरी कैसी लगी कमेंट कीजिए 🙏

#FathersDay
हम तो वरदान को ही श्राप  समझ बैठे हैं। सामने पुण्य है और पाप समझ बैठे हैं। पहले मां बाप को दौलत ही समझते थे हम। आज दौलत को ही मां-बाप समझ बैठे हैं।

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