Nojoto: Largest Storytelling Platform

(मैं लोमड़ी कैसे हो सकता हूँ। ज़्यादा से ज़्यादा लूमड

(मैं लोमड़ी कैसे हो सकता हूँ। ज़्यादा से ज़्यादा लूमड कह लो।)
अक्टूबर 2016 का अंतिम रविवार; मध्यरात्रि।इनबॉक्स में एक मैसेज़ बरामद होता है और संवाद् श्रृंखला कुछ यूँ चल निकलती है।
------------------------------------
वो-- Happy Deepavali

मैं-- वो क्या मनाये दीवाली
जिसकी फुलझड़ी उससे नाराज़ हो!

(मैं लोमड़ी कैसे हो सकता हूँ। ज़्यादा से ज़्यादा लूमड कह लो।) अक्टूबर 2016 का अंतिम रविवार; मध्यरात्रि।इनबॉक्स में एक मैसेज़ बरामद होता है और संवाद् श्रृंखला कुछ यूँ चल निकलती है। ------------------------------------ वो-- Happy Deepavali मैं-- वो क्या मनाये दीवाली जिसकी फुलझड़ी उससे नाराज़ हो! #Books

Views