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उलझन इस बात की है कि जाने क्यू अब शर्म से चेहरे गु

उलझन इस बात की है कि जाने क्यू अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते
जाने क्यू अब मस्त मौला मिजाज नही होते
पहले बता दिया करते थे दिल की बात 
जाने क्यू अब चेहरे खुली किताब नहीं होते 
सुना है बिन कहे दिल की बात समझ लेते थे 
गले लगते ही दोस्त हालात समझ लेते थे 
तब न फेस बुक न व्हाट्सएप न ट्विटर था 
फिर भी एक चिट्ठी से ही दिलो के जज्बात समझ लेते थे 
सोचता हु हम कहा से कहा आ गए 
ब्यावहरिकता सोचते सोचते भावनाओ को खा गाय 
अब भाई भाई से समस्या का समाधान कहा पूछता 
अब बेटा बाप से उलझनों का निदान कहा पूछता 
बेटी नहीं पूछती मां से गृहस्थी के सलीके 
पारियों की बाते अब किसे भाती है 
अपनो की याद अब किसे रुलाती है
अब कौन गरीब को सखा बताता है 
अब कहा कृष्ण सुदामा को गले लगाता है

पंडित  -- राहुल तिवारी

©RAHUL TIWARI #AdhureVakya  kayla sobonilla Suman7296 Jyoti Gupta Bhumika Gupta807 Khushbu 3043
उलझन इस बात की है कि जाने क्यू अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते
जाने क्यू अब मस्त मौला मिजाज नही होते
पहले बता दिया करते थे दिल की बात 
जाने क्यू अब चेहरे खुली किताब नहीं होते 
सुना है बिन कहे दिल की बात समझ लेते थे 
गले लगते ही दोस्त हालात समझ लेते थे 
तब न फेस बुक न व्हाट्सएप न ट्विटर था 
फिर भी एक चिट्ठी से ही दिलो के जज्बात समझ लेते थे 
सोचता हु हम कहा से कहा आ गए 
ब्यावहरिकता सोचते सोचते भावनाओ को खा गाय 
अब भाई भाई से समस्या का समाधान कहा पूछता 
अब बेटा बाप से उलझनों का निदान कहा पूछता 
बेटी नहीं पूछती मां से गृहस्थी के सलीके 
पारियों की बाते अब किसे भाती है 
अपनो की याद अब किसे रुलाती है
अब कौन गरीब को सखा बताता है 
अब कहा कृष्ण सुदामा को गले लगाता है

पंडित  -- राहुल तिवारी

©RAHUL TIWARI #AdhureVakya  kayla sobonilla Suman7296 Jyoti Gupta Bhumika Gupta807 Khushbu 3043