गर जो मै कलम उठाउं साहस ऐसा कहा से लाऊं नतमस्तक आज

गर जो मै कलम उठाउं साहस ऐसा कहा से लाऊं
नतमस्तक आज लेखनी मेरी शब्द ऐसे कहां से पाऊं  

गुरु ज्ञान का सूर्य , खुद तपकर  करे रौशन चहुंओर
 है अभिनंदन बारम्बार पूज्य गुरु नंद किशोर🙏

गुरु ज्ञान का वो अम्बर  सिखाते हैं सफलता का राज  
आलोकित जिनसे ये विद्या का मंदिर  नमन गुरुदेव  मुमताज🙏

शिक्षा की बगिया है इनसे पुष्पित पल्लवित  
जिसके  माली हैं जब स्वयं गुरुदेव प्रेम बसंत🙏


शीतल समीर सा सुरभित जिनसे जीवन का प्रांगण
महक उठे शिक्षा की बगिया जब सन्निध्य  हो गुरदेव  चंदन🙏

इस उपवन की शोभा स्वरूप हो 
आप मां सरस्वती का दूजा रूप हो🙏

ज्ञान की गंगा से सिंचित  कर दे जो अर्तमन
तप कर कैसे कुंदन निखरते  राह सही समझाए मैम कंचन🙏
 
ज्ञान के  सागर से जीवन   को नया आयाम दिया 
सदैव वंदनीय  है  हमारी पथ प्रदर्शक प्यारी   मैम ग्लोरिया 🙏

MADHUMITA MISHRA




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©Madhumita Mishra  (Hon€¥)
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