कुछ अलग सा है मेरे, यादों का घर झरोखों से झांकती है,हसरतें बेकल खुशियां,दीवारों सी,खामोश खड़ी है ,मगर तन्हा नही है,तन्हाइयों का ये सफर कुछ इरादे है और कुछ उम्मीदें भी,जो रोज़ दहलीज़ पे खड़े होके, बुलाती है मेरे इस घर मे,मैं नही होता ,अक्सर मगर,तुम होते हो,सिर्फ तुम ए बेखबर🙂 #पारस #यादोंकाघर #घर #तुम #झरोखें #दहलीज़ #सफर #ज़िन्दगी