समाज की कुरीतियों और कुप्रथाओं की बेड़ियों को तोड़ने से पहले नारियों को अपनी ही सोच को स्वतंत्र करना होगा। रूढ़िवादी, दकियानूसी मानसिकता को छोड़कर नए विचारों और सोच को बदल कर अपनी सोच का विकास करना होगा। जात-पात के भेदभाव को मिटाकर सब जन के अंतर्मन में हर नर-नारी के मन में समानता के भावों को जगाना होगा। स्वाधीनता की बातें करने से पहले हर नारी को स्वाधीनता के सही मायनों को खुद ही जानना, समझना व अपनाना होगा। जानती हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को हर नारी परन्तु फिर भी, अपनी सही बात कहने और समझाने की हिम्मत नहीं रखती हैं। खुद को बांध कर रखा है पराधीनता के कफस की बेड़ियों में अपने सपनों को उड़ान देने से आसमां में उड़ने से डरती रहती हैं। नारी जब खुद को खुद से ही स्वतंत्र करने का संकल्प लेगी, सही मायने में तभी नारी स्वाधीन होगी,स्वाधीनता को समझेगी। जब हर नारी आत्मविश्वास के साथ अपने पैरों पर खड़ी होगी, तभी हर नारी अपनी स्वाधीनता का जश्न खुलकर मना पाएगी। -"Ek Soch" #पराधीनता #विशेष_प्रतियोगिता #कोराकागजविशेषप्रतियोगिता #कोराकागज #collabwithकोराकागज #yqbaba #yqdidi