बहर 2212 122 2212 122 जो अक्स दिख रहा इसमें हूबहू नहीं है, सो ऐसे आइने की तो आरजू नहीं है। कुछ भी गिला नहीं है जो छोड़ कर चले सब, बस ये मलाल है मेरे साथ तू नहीं है। मैं तुझसे यूँ मरासिम जैसे मेरे ख़ुदा से, इक रब्त है हमेशा पर रूबरू नहीं है। कुछ यादें वस्ल की और कुछ दर्दे-हिज़्र तेरा, 'साहिल' के ज़हन में कुछ भी फ़ालतू नहीं है। ©©© -शमशेर 'साहिल'© #हिज़्र#आईना#aarzoo #शमशेर_साहिल #Shamsher_Sahil #pain #tears #GhazalOfSahil #BestPoetryEver #HindiShayri