ग़ुलाब यूंँ ही नहीं है फूलों का राजा गुलाब सर पर काँटों का ताज है सह कर अनगिनत सारे कष्ट तब औरों के लिए मुस्कुराना पड़ता है ©DR. LAVKESH GANDHI #Gulaab # # कांँटों का ताज #