इन सियासी ताजिरों के वादे थे सर ढकेंगे तेरा, यां तेरी नज़रें हटी, वां खींच लेंगे पैरहन तेरा। इन आंधियों को इजाज़त तो दी अपने घर में, देखना कहीं उजाड़ न दें,ज़ालिम गुलशन तेरा। सूरज की तरह निचोड़ लेंगे लहू का हर कतरा, बचा के रख इन खूनी भेड़ियों से समन्दर तेरा। अभी ज़िंदा हैं तो ज़िंदगी का फ़र्ज़ अता कर, वगरना बेच खायेंगे, ये रहज़न, मदफन तेरा। उस सय्याद के दानों ने तुझको तो फांस लिया, उस नज़र-बाज़ से बचा अब ये नशेमन तेरा। ये जो चिताएं सजाई हैं हुकूमत की हवस में, यहीं आग जलाएगी किसी दिन मसनद तेरा। ©Roshan Jain #Death #corona #Politics #neta #India #coldnights