कुछ लम्हें रखे थे बचा के जेब में ये मेरी कुल जमापूंजी थी जो उड़ानी थी तुम्हारे सँग किसी रोज़ खुश गवार मौसम में ....फिर हुआ यूं कि एक रोज़ मेरी जेब कट गई और ले चला कोई उड़ा के जो बचाके रखा था अब तक और वो मौसम जिसका इंतेज़ार था मेरी दहलीज़ से होके गुज़र गया 7/6/22