जिंदगी रहते कभी साथ नहीं था, मरने के बाद यहां हर शख़्स सगा था। मैं मांगता रह गया शामें उम्र भर, मेरी मय्यत पर वो सारी रात जगा था। काली और खाली रही सारी जिंदगी, लाश पर मेरी हर रंग लगा था। जिन्हें एतबार न था मेरे खेल पर, मेरी इस चाल पर सारा जहां दंग लगा था। जिंदगी रहते कभी साथ नहीं था, मरने के बाद यहां हर शख़्स सगा था। मैं मांगता रह गया शामें उम्र भर, मेरी मय्यत पर वो सारी रात जगा था। काली और खाली रही सारी जिंदगी, लाश पर मेरी हर रंग लगा था। जिन्हें एतबार न था मेरे खेल पर, मेरी इस चाल पर सारा जहां दंग लगा था।.