Nojoto: Largest Storytelling Platform

कभी जब रात को बैठूं किसी पन्ने को लेकर मै मै कुछ

कभी जब रात को बैठूं 
किसी पन्ने को लेकर मै 
मै कुछ लिखना भी चाहूँ तो 
कलम चलती नही मुझसे।
लगे है जैसे कोई मुझमे कोई नादान बैठा है 
जो  कुछ कहना तो चाहता है 
मगर कुछ कह नही पाता
उसे कुछ डर सा रहता है 
न जाने कौन सा डर है 
उसे किसी की आरज़ू है या किसी से इश्क़ कर बैठा ?
किसी को याद करता है या कोई सोने नही देता?
उसे जब ख्याल आता है 
ये  सब कुछ हो रहा है क्या 
वो घबरा सा जाता है 
कोई जब याद आता है 
कोई जब याद आता है 
कभी जब रात को बैठूं....

शहजान खान ✍ #urdu #passion #poetry #insta #qoutes
कभी जब रात को बैठूं 
किसी पन्ने को लेकर मै 
मै कुछ लिखना भी चाहूँ तो 
कलम चलती नही मुझसे।
लगे है जैसे कोई मुझमे कोई नादान बैठा है 
जो  कुछ कहना तो चाहता है 
मगर कुछ कह नही पाता
उसे कुछ डर सा रहता है 
न जाने कौन सा डर है 
उसे किसी की आरज़ू है या किसी से इश्क़ कर बैठा ?
किसी को याद करता है या कोई सोने नही देता?
उसे जब ख्याल आता है 
ये  सब कुछ हो रहा है क्या 
वो घबरा सा जाता है 
कोई जब याद आता है 
कोई जब याद आता है 
कभी जब रात को बैठूं....

शहजान खान ✍ #urdu #passion #poetry #insta #qoutes