इन बारिशो ने दी है दस्तक, कि हर पन्ना भीग चुका है दिल की किताब का, एक ख्वाईश् है उनके साथ भीगने की, कि हर जर्रा जर्रा तड़प उठा है जिस्म-ऐ-ख़िताब का, और क्या ही बोलो इस आलम में तुमसे, कि अब माँ भी आवाज़ दे तो लगता है हर अल्फ़ाज़ आपका.... #shayari