क्यू खिची है तुमने ,इन मजहब की लकीरो को, जब बन्ध कर अए है हम सब, एक ही डोर से। इंसानियत का डोर ,इसे तुम कच्चा धागा न समझना राम वही है,रहीम,ईसु भी है, नानक नाम भी एक है। फिर क्यू बन्ते हो, अलग नाव के अलग खेवैया, जब रोटी देने वाला भी एक है। #मत बाटो