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राधा माधव उर बसी, चंद्र चकोरी प्रीत। मुरली मीठ



 राधा माधव उर बसी, चंद्र चकोरी  प्रीत।
मुरली मीठी तान से, हृदय लिए वो जीत।

कान्हा गोपी साथ में, सदा  रचाए  रास।
सावन  बरसे मेघ से, नीर नेह का वास।

मुरली माधव की बजी, कैर कुंज के बीच।
राधा  नागर हो चली, नेह  हृदय  में सींच ।

माधव मन में यूं बसे, गंध फूल आधार।
सावन की बौछार में, खिले खूब कचनार।

लगन लगी जब श्याम से, कहा रहा कुल भान।
मीरा माधव प्रेम में, विष का कर ली पान।

सात जन्म का साथ था, प्रीत रही अनमोल।
नेह लिप्त मीरा रही, रस जीवन में घोल।

सखा श्याम से भेंट कर, नैन बहाएं नीर।
दशा देख सुदामा की, हृदय कृष्ण के पीर।



डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा जयपुर राजस्थान।

©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani
  श्याम बाबा

श्याम बाबा #कविता

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