मैं कहने ही वाला था, पर वो उनकी नजरों में मेरी तस्वीर नज़र आती थी उसके हाथो की लकीरों में मेरी तकदीर नज़र आती थी मै लूट चुका था जब फकीरी सी ज़िन्दगी में वो साथ थी तो मुझे फकीरी भी अमीर नज़र आती थी मुझे प्यार हो गया था हम बिछड़े मज़बूरी थीं फिर भी मेरा दिल उसमे रह गया था बिछड़कर मिले फिर जब हम मै कहने ही वाला था पर वो अब मुझे छोड़ चुकी थीं तस्वीर नजरों से मेरी बदल चुकी थीं ना दोस्ती रही उनकी अब ना प्यार रहा उनका अब बिन खावाबो की रात बिताते हैं अब कभी ख्वाब थे उसके जो ख्वाबों से राते सवर जाती थी दिलासा देते है अब उसके बिन उस वक्त को गुजरने का जिस वक़्त में सिर्फ वो ही नज़र आती थी मै कहने ही वाला था पर वो