वो लम्हा बहुत पुराना था दिल में एहसास कुछ दबा था मैं अंजान थी तेरे हर एक इशारे से पर दिल को कुछ हुआ था शायद तेरे इश्क़ में मेरा दिल पिंजरे में कैद परिंदा हो चला था तुम छू जाते थे मेरे रूह को तेरा मेरा साथ होना जैसे सब जन्नत था तेरा हंसना भी जन्नत था तेरा मुझसे लड़ना भी जन्नत था मैं अतीत में उलझी एक राज थी तुम मेरी जिंदगी में आया कहीं से एक शक्स जो मुझे लगता थोड़ा जाना पहचाना था मेरे दिल के आस पास उसका बसेरा था तेरी बेरुखी में ख़ुद को सजा सुनाती थी तुम मेरी उदासी को देख न पाते थे मेरी ख़ामोशी को पढ़ तुम हो जाया करते परेशान थे फ़िर मुझे प्यार से समझना जैसे सब जन्नत था तेरा हंसना भी जन्नत था तेरा मुझसे लड़ना भी जन्नत था तेरा हंसना भी जन्नत था तेरा मुझसे लड़ना भी जन्नत था दिल के गहराइयों में छुपा कुछ एहसास पुराना था,,,,,,,,,,, तेरा मुझसे मिलना भी जन्नत था तुमसे मोहब्बत करना जैसे सब जन्नत था,,,,