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एक नजर खयालातों पर गई, अपनी और दूसरों की भी, निच

एक नजर खयालातों पर गई,
 अपनी और दूसरों की भी,
 निचोड़ यह था कि ,
मशरूफ है सब अपनी जिंदगी में।
 परवाह पीछे छूटी तो क्या?
 जिंदगी तो आगे बढ़ रही है ।
इंसानियत पीछे छूटी तो क्या ?
सफलता सीढ़ी तो चढ़ रही है!
भाव जो सच्चाई का आईना थे ,
अब असलियत छुपाने की खूबी रखते हैं।
हाल ए बयां कर रही हूं सभी का,
कुछ ऐसा हाल है जिंदगी का।

Shreya Upadhayaya🎭 dhundhli si jindagi
एक नजर खयालातों पर गई,
 अपनी और दूसरों की भी,
 निचोड़ यह था कि ,
मशरूफ है सब अपनी जिंदगी में।
 परवाह पीछे छूटी तो क्या?
 जिंदगी तो आगे बढ़ रही है ।
इंसानियत पीछे छूटी तो क्या ?
सफलता सीढ़ी तो चढ़ रही है!
भाव जो सच्चाई का आईना थे ,
अब असलियत छुपाने की खूबी रखते हैं।
हाल ए बयां कर रही हूं सभी का,
कुछ ऐसा हाल है जिंदगी का।

Shreya Upadhayaya🎭 dhundhli si jindagi