एक नजर खयालातों पर गई, अपनी और दूसरों की भी, निचोड़ यह था कि , मशरूफ है सब अपनी जिंदगी में। परवाह पीछे छूटी तो क्या? जिंदगी तो आगे बढ़ रही है । इंसानियत पीछे छूटी तो क्या ? सफलता सीढ़ी तो चढ़ रही है! भाव जो सच्चाई का आईना थे , अब असलियत छुपाने की खूबी रखते हैं। हाल ए बयां कर रही हूं सभी का, कुछ ऐसा हाल है जिंदगी का। Shreya Upadhayaya🎭 dhundhli si jindagi