" तुम जो चाहो" अनुनय विनय से पहले ,थोड़ा दिल बहला दो , प्यार वफ़ा के पहले, कुछ दस्तूर निभा दो । फिर "तुम जो चाहो" ,सब संभव हो सकता है, रूठी क़िस्मत का दरवाज़ा,भी खुल सकता है । "तुम जो चाहो" धरती पे अंबर भी झुकता है , तुम जो चाहो निर्जन में उत्सव मन सकता है " तुम जो चाहो... तुम्हें देख सौंदर्य रूप भी खिल सकता है , और होठों का अमृत्य पान भी मिल सकता है। #"तुम जो चाहो"