इंसान की ज़रूरतें जीने के लिए बस रोटी, कपड़ा और मकान लेकिन इनके ज़रूरतें का कोई नहीं अंत होता इनकी इच्छाएं कभी नहीं मरती उनको मन में अपने पालता इन बुनियादी ज़रूरतों को छोड़ अनगिनत सांसारिक और तामसिक सुख की चाह में जीवन को अपने उनको पाने के खातिर ख़ुद को झोंक पाता अपने जीवन में सिर्फ़ पाता मानसिक तनाव और थकान सुप्रभात। इंसान की ज़रूरतें और उसकी चाहतें ज़रूरी नहीं अथाह हों... #इंसानकीज़रूरतें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi