एक सुबह होगी जब लोगों के कन्धों पर ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं दफ्तर का बैग होगा, गली में एंबुलेंस नहीं स्कूल की वैन होगी और भीड़ दवाखानों पर नहीं चाय की दुकानों पर होगी। एक सुबह होगी जब पेपर के साथ पापा को काढ़ा नहीं चाय मिलेगी, दादा जी बाहर निकल के बेखौफ पार्क में गोते लगाएंगे और दादी टेरेस पर नहीं मंदिर में जल चढ़ाकर आएंगी। एक सुबह होगी जब हाथों में कैरम और लूडो नहीं बैट और बॉल होगा, मैदानों में सन्नाटे नहीं शोर का भार होगा और शहरों की सारी पाबंदी हटेगी और फिर से त्योहार होगा। एक सुबह होगी जब जी भर के सबको गले लगायेंगे, कड़वी यादों को दफ़न कर फिर से मुस्कुराएंगे और दुनिया को कह देंगे नज़र झुका लो हम वापस आए हैं। ©Adv Sarvesh Singh Rawat #Morning #India #Blessed #Positive_thoughts