एक ख़त अपना भी होता! इस अनलाईन दुनिया में भी कबूतरों का दौर होता, लिखते हम भी स्याही में भर के नज़्म और प्यार, दुनिया से छुप-छुपा के करते हम भी ख़त से इज़हार, एक ख़त अपना भी होता! उनके खत के इंतजार में थोडा हम भी तड़पते, धूप,बारिश,तूफान में थोड़ा छत पर हम भी ठहलते! अपने दरवाजे से उनके खिड़की पर नज़र लगाए बैठे होते, एक ख़त अपना भी होता! किताबों में रख गुलाब की वो डाली हम भी दिया-लिया करते, रख के ख़त किताबो के अन्दर रात भर पढा करते! इस आनलाईन दुनिया में एक ख़त अपना भी होता !! #poetry #quotes #hindi