ये किसका बोझ मैंने कबसे उठाया है कहीं से वक़्त मुझे कहीं लाया है जब जब मेरे सामने आईना रखा एक बीमार से ज़िन्दगी ने मिलाया है जज़्बातों का क़त्ल किया उम्मीदें तोड़ी किसी का क़ुसूर कोई और सजा काट आया है जब जब सिमटा हालात ने बहकाया है ऐ ज़िन्दगी मुझे तूने क्या लौटाया है अब कैसी गुंजाईश सारिम और जुस्तुजू तुम्हे तो हार ने भी ठुकराया है ©Mohammad sarim #zindagi #Life #ummid #shayri #ghazal