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एक रोज़ सन्नाटा हुआ और दिन में अंधकार कुछ पल को, पृ

एक रोज़ सन्नाटा हुआ
और दिन में अंधकार कुछ पल को,
पृथ्वी पर नही, कुछ एक के जीवन मे । #क्या_सही_क्या_गलत_qeh
एक रोज़ सन्नाटा हुआ
और दिन में अंधकार कुछ पल को,
पृथ्वी पर नही, कुछ एक के जीवन मे । #क्या_सही_क्या_गलत_qeh