वो ज़मीन पर खड़ा हो आसमां तकता रहे मंज़िल की चाह लिए दिन रात सपने बुने ना सुबह की किरणे देखें ना घनी रात वीरान सी बस सपनों के पीछे भागे धुन लगी हुई अविराम सी ना त्योहारों का मौसम देखे ना अपनों से ही मिल पाए अकेलेपन में गुनगुनाए गीत भी वो ज्ञान की चैन और सुख जो अब त्यागे, बाद का जीवन सुखमय हो जाए श्रेष्ठ धनुर्धर वही कहलाए जिसका तीर निशाना साध जाए जो हार मान ले बीच डगर वह कहीं का भी ना रह पाए जो डिगे नहीं अपने पथ से अंत में वही विजेता कहलाए। #shivi#motivation#for all#each and everyone has it's aim