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#AzaadKalakaar कागज-कलम बिकता कहाँ है ,जो हम बेचते

#AzaadKalakaar कागज-कलम
बिकता कहाँ है ,जो हम बेचते हैं ! 
कागज पे रखकर कलम बेचते हैं !! 

जामाने की भीड़ ,है उस दुकान पे ! 
जख्म बेचकर जो मरहम बेचते हैं !! 

गवाँर बन गयें हैं , दुध बेचने वाले ! 
पढ़े लिखे तो विस्की- रम बेचते हैं !! 

शुकून का दुकान भी ,ठंढा पडा है ! 
उन्हें फुर्सत नहीं है जो गम बेचते हैं !! 

प्रेम बेचने वाले ,गुमनाम है जमीं पे ! 
सुर्खियों में छाये हैं जो बम बेचते हैं !! 

बेचते हैं जरूरत ,नसीब नहीं छाया ! 
छत्रछाया में हैं जो..सितम बेचते हैं !! 

हमें भडकर बोल ,एक बेचने वाले ने ! 
जो खरिदता है उसी को हम बेचते हैं !!

©S K Sachin #AzaadKalakaar  #कागज-#कलम
#AzaadKalakaar कागज-कलम
बिकता कहाँ है ,जो हम बेचते हैं ! 
कागज पे रखकर कलम बेचते हैं !! 

जामाने की भीड़ ,है उस दुकान पे ! 
जख्म बेचकर जो मरहम बेचते हैं !! 

गवाँर बन गयें हैं , दुध बेचने वाले ! 
पढ़े लिखे तो विस्की- रम बेचते हैं !! 

शुकून का दुकान भी ,ठंढा पडा है ! 
उन्हें फुर्सत नहीं है जो गम बेचते हैं !! 

प्रेम बेचने वाले ,गुमनाम है जमीं पे ! 
सुर्खियों में छाये हैं जो बम बेचते हैं !! 

बेचते हैं जरूरत ,नसीब नहीं छाया ! 
छत्रछाया में हैं जो..सितम बेचते हैं !! 

हमें भडकर बोल ,एक बेचने वाले ने ! 
जो खरिदता है उसी को हम बेचते हैं !!

©S K Sachin #AzaadKalakaar  #कागज-#कलम