प्यार था या था किसी और चीज का सौदा बता दो साफ-साफ था यह स्वार्थ का पौधा। जिसकी बीज तुमने लगाई, पर फल मैंने दिया। उस फल को तुमने तोड़ा, पर किसके लिए छोड़ा। बता दो। बस इतनेे में आंखों से आंसू छलक गए अभी तो दास्तान ए जिंदगी बाकी है। ना जानेेेे कौन सा लफ्ज़ तेरा राज़ खोल दे। बस इस ख्याल सेेे नजरें झुकाए बैठी हो। अरे पागल, तूने नहीं तो मैंने, तुझसे सच्चा प्यार किया है। सच्चे प्यार का मतलब तेरा आंसू पी जाना। तो मैं तुझे आंसू कैसे दे सकता हूं। जाना हैै तो जा उसके साथ, तेरी मुस्कान मेरी सांसे हैं। #poem#प्यार है या सौदा#alvida naa kehna