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उन रिश्तो से रुसवाई अब कर ली खुद ही तनहाई कम कर ल

उन रिश्तो से रुसवाई अब कर ली
 खुद ही तनहाई कम कर ली बड़ा जख्मी था यह दिल भी अब खुद ही जुदाई  हमने कर ली 
उन रिश्तो से रुसवाई हमने कर ली
 था कभी गुरुर खुद पर बड़ा फक्र था खुद ही खुद पर
 अब उन रिश्तो से रिहाई हमने कर ली है 
सुकून है इस दिल को अब ना खींझ ना उम्मीद है 
 इस दिल को बड़े चैन से हर रात हमने सो ली 
और खुद ही खुद में खुश रहना सीख ली 
अब उन रिश्तो से रूसवाई हमने कर ली

©Kanchan Pathak
  #Ristein#kavita#nojoto#poetry#hindiwriting#kanchanpathak  एक अजनबी Niaz (Harf) Sethi Ji R K Mishra " सूर्य " Aditya kumar prasad