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आदि अनादि अनंत सब जाना, तुम बिन प्रेम अर्थ नहीं आ

आदि अनादि अनंत सब जाना, 
तुम बिन प्रेम अर्थ नहीं आना। 

मैं विभव विषम विरक्त सा प्राणी, 
तुम ईश्वर की कोमल वाणी।

तुम से चलकर तुममें आना, 
भजन का सत्व परम गति पाना।

©kahanikar bhag 2
आदि अनादि अनंत सब जाना, 
तुम बिन प्रेम अर्थ नहीं आना। 

मैं विभव विषम विरक्त सा प्राणी, 
तुम ईश्वर की कोमल वाणी।

तुम से चलकर तुममें आना, 
भजन का सत्व परम गति पाना।

©kahanikar bhag 2