समय के उस पड़ाव पे आ चला हूं, जहां से निकलने का रास्ता कोई दिखता ही नहीं, इस बेदर्द दुनिया में कोई सहारे का हाथ उठता भी तो नहीं, मन में जो अधूरी ख्वाहिश की खलिश हैं वो कोई सुनता भी तो नहीं, जी तो लूंगा मैं बिन ख्वाहिश ये ज़िन्दगी मगर अपनों का दर्द देखा जाता भी तो नहीं। ©Miss👑Rathore समय के उस पड़ाव पे आ चला हूं, जहां से निकलने का रास्ता कोई दिखता ही नहीं, इस बेदर्द दुनिया में कोई सहारे का हाथ उठता भी तो नहीं, मन में जो अधूरी ख्वाहिश की खलिश हैं