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जो ज़ख्म दिए हैं ज़िन्दगी ने , उन्हें मैं सीना च

 जो ज़ख्म दिए  हैं ज़िन्दगी ने , उन्हें  मैं  सीना चाहती हूँ,
मौत ले जाएगी एक दिन, मरने से पहले जीना चाहती हूँ,

ज़िंदगी का एक हिस्सा गुज़र गया ,अंधेरों से लड़ते लड़ते,
जो अंधेरों को पी जाए , वो आब-ए-रोशनी पीना चाहती हूँ,

कब  तलक   रोकेगीं   मुझे ,   मेरे   पाँवो  की बेड़ियाँ,
करा दे मेरी ताकत से रूबरू ,मैं वो आईना चाहती हूँ,

बहुत उलझा के रखा है मुझे , मेरी बेतरतीब ज़िन्दगी ने,
ज़ीस्त-ए-सूरत   सँवार    कर , मैं अब करीना चाहती हूँ ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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#ज़िन्दगी 
#मरनेसेपहले