उफ्फ इस गर्मी का मारा हूँ बन बैठा मच्छरों का चारा हूँ मधुर ध्वनियाँ संगीत की मुझे सुनाते ना जाने कौन सा राग गाते मैं हाथ बढ़ाऊँ उनकी ओर वह सरपट भागे जाते जैसे ही मैं बैठ जाऊँ तेजी से दौड़े आते हाँ थोड़े नटखट, थोड़े नादान से लगते हैं एक ये ही है जो मेरा तन्हाईयों में इतना ख़्याल रखते हैं शक्ल सूरत से नहीं दिलो जान से मुझ पर मरते हैं हाल-ए-दिल मच्छर के मधुर संगीत का आनंद ले रही हूँ #गढ़वालीगर्ल #अनाम #मच्छर_प्रेम #रात्रिख्याल #रातकाअफ़साना #humor #अनाम_ख़्याल