आशिक तो वो होते हैं जो मर कर भी जी जाया करते हैं। करने पूरा मोहब्बत का सफर लौट के आया करते हैं। मौत भी मुकम्मल मंजिल नहीं इनकी ये वो शीशे हैं जो टूटकर भी खनक छोड़ जाया करते हैं। लेखक - अंकित पालीवाल शीशे की खनक