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मैं चाँद बनूँ तुम बनो रात, हो चोली दामन सा अपना स

 मैं चाँद बनूँ तुम बनो रात,
हो चोली दामन सा अपना साथ..!

मैं मौसम बनूँ वर्षा का,
तुम बनो यूँ ही बरसात..!

मैं लड़ूँ जो अन्याय से,
तुम देना उसको मात..!

निभाये जो हर हाल में,
तुम रहना सदा मेरे साथ..!

मैं लूँ जो जन्म किसी भी युग में,
न लेना तुम जन्म परजात..!

बड़ा सताते हैं ज़माने वाले,
दुश्वार करे जीना कर जात-पात..!

तुम बनना दुल्हन मेरी हर जन्म,
मैं लेकर आऊँ "शिवा" की बारात..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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