अगर तुम्हारी चेतना में कृष्ण का चिंतन है तो तुम और कहीं खो नहीं सकते। अगर तुम कृष्ण के हो चुके हो तो माया के हो नहीं सकते। ©Sonali Ghosh कृष्ण का चिन्तन। हरि बोल!