वक्त को वक्त ने छीन लिया दिल के इस आलम को क्यूं मेरा कर दिया, हाथों की लकीरों को जब मैंने पढ़ा जिंदा होकर भी मुझे तूने आधा कर दिया, मुस्कराती हुई एक हस्ती थी मैं मुझसे मेरा इश्क़ करने का हक़ क्यूं छीन लिया, अधूरी कायनाथ में तन्हा है हर वो लम्हा तेरे बिना मेरे यार ने मेरा सब कुछ छीन लिया।। ©Akanksha Dixit Mood kuch alag hai !! #Moon