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मिल जाओ तुम इन्द्रधनुषी साये में संदिली से तन पर म

मिल जाओ तुम इन्द्रधनुषी साये में
संदिली से तन पर मेरे बिछा दो 
जुगनू गहरी रातों में
मखमली घास पर नर्म रेशम चादर में
ले लो मुझे अपने बाहों के घेरे में
ओस की बूंदों के जैसे चुम्बन में

भीगो दो अपना प्यार मेरे होंठो की ललिमा में
गुनगुनी धूप जैसे बिखर जाओ मेरे हर रोम में
फिर चटक चांदनी में थिरको 
मेरे संग उन्मुक्त तरंगो में
उड़ चलो मेरे संग सुबह के सिंदूरी गगन में
समा जाएंगे ऐसे ही मैं में तुम और तुम में मैं। #मेरीक़लमसे #इश्क़ #yqpoetry #yqlove #yqkavita #kavishala #passionate #poetryinhindi
मिल जाओ तुम इन्द्रधनुषी साये में
संदिली से तन पर मेरे बिछा दो 
जुगनू गहरी रातों में
मखमली घास पर नर्म रेशम चादर में
ले लो मुझे अपने बाहों के घेरे में
ओस की बूंदों के जैसे चुम्बन में

भीगो दो अपना प्यार मेरे होंठो की ललिमा में
गुनगुनी धूप जैसे बिखर जाओ मेरे हर रोम में
फिर चटक चांदनी में थिरको 
मेरे संग उन्मुक्त तरंगो में
उड़ चलो मेरे संग सुबह के सिंदूरी गगन में
समा जाएंगे ऐसे ही मैं में तुम और तुम में मैं। #मेरीक़लमसे #इश्क़ #yqpoetry #yqlove #yqkavita #kavishala #passionate #poetryinhindi