इस तरह से खामोश गुजरती है ये बारीश ... मेरे चहरे को छू कर भी मायूस सी गुजरती है ये बारीश ... कहने जो प्यार कि बाते मुझसे आए ये बारीश ... फिर ताना सा सुन मेरा मुँह बना लौट जाए ये बारीश ... अब तो मेरे लिये सिर्फ आती और जाती है ये बरीश ... आज मौसम ख़राब सा है बस यही कहलाती है ये बारीश ... #ख़्यालात-ए - बारीश #kalakaksh #nojoto #nojotohindi #hindipoetry